अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आज ही सही कदम उठाएं.

म्यूचुअल फंड में निवेश करना शुरु करें

  • लाभ
  • परिदृश्य
  • म्यूचुअल फंड के प्रकार
  • बॉब के साथ निवेश क्यों करें
  • एसआईपी क्या है?
  • हमारे एम.एफ टाई अप पार्टनर
  • Mutual Fund Nomination

म्यूचुअल फंड निवेश : लाभ

  • दीर्घकालिक धन सृजन में सहायता करता है

    • दीर्घावधि में, विविध एमएफ पोर्टफोलियो बेहतर मुद्रास्फीति के अनुकूल रिटर्न प्रदान करते हैं.

    विविधता

    • एमएफ निवेशकों को आस्ति वर्ग के साथ-साथ प्रतिभूतियों में विविधता लाने का अवसर प्रदान करते हैं

    व्यावसायिक प्रबंधन

    • एमएफ का प्रबंधन उचित एवं पेशेवर फंड प्रबंधन टीमों द्वारा किया जाता है.

    तरलता

    • अधिकांश एमएफ पारंपरिक निवेश के विपरीत अत्यधिक तरल होते हैं

    सुनियंत्रित

    • निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए एमएफ को सेबी द्वारा सख्ती से विनियमित किया जाता है

    कर लाभ

    • ईएलएसएस फंड(धारा 80 सी के अंतर्गत) कर लाभ प्रदान करते हैं

म्यूचुअल फंड निवेश : परिदृश्य

म्यूचुअल फंड क्या है?

म्यूचुअल फंड में कई निवेशकों से निधि इकट्ठा किया जाता है और इक्विटी, डेट या गोल्ड जैसे आस्ति वर्गों में निवेश के प्रयोजन से निवेश किया जाता हैं.

क्या आपके पास वित्तीय लक्ष्य हैं जिन्हें आप पूरा करना चाहते हैं लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए किसी पेशेवर की सहायता की आवश्‍यकता है? क्या आप शेयरों में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन क्या आप शेयर बाजारों और उनकी अस्थिरता से आशंकित हैं? क्या आप वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन सुनिश्चित नहीं हैं कि लंबी अवधि के लिए कौन सी आस्ति की खरीद करनी चाहिए? क्या कर बचत आपकी प्राथमिकता है लेकिन उचित कर बचत समाधान के चयन में आप भ्रमित रहे हैं?

म्यूचुअल फंड में निवेश सभी वित्तीय प्रश्‍नों का समाधान है. म्युचुअल फंड नकदी लिखत हैं जो दीर्घावधि में मुद्रास्फीति से निपटने एवं कर-बचत प्रतिफल (रिटर्न) एवं आपको अपने निधि पर पूर्ण नियंत्रण रखते हुए आपकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार निवेश करने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं. निवेशक अपने जोखिम / रिटर्न प्रोफाइल के अनुसार विभिन्न आस्ति वर्गों जैसे इक्विटी, डेट या गोल्ड में निवेश कर सकते हैं.

बैंक ऑफ़ बड़ौदा के सम्मानित ग्राहक के रूप में, हमने आपके लिए विभिन्न फंड श्रेणियों में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले म्यूचुअल फंड में निवेश करना आसान बना दिया है, जैसे कि इक्विटी फंड जो लंबी अवधि के लिए धन सृजन की पेशकश करते हैं, डेट फंड जो आपके पोर्टफोलियो को स्थिरता प्रदान करते हैं, कर बचत फंड, बैलेंस्ड फंड्स और लिक्विड और अन्य के साथ शॉर्ट-टर्म फंड जो आपकी शॉर्ट टर्म आवश्‍यकताओं के लिए है. आप कुछ ही क्लिक में अपने इंटरनेट बैंकिंग खाते या बॉब वर्ल्ड मोबाइल ऐप के माध्यम से सुरक्षित और डिजिटल रूप से निवेश कर सकते हैं.

म्यूचुअल फंड निवेश : म्यूचुअल फंड के प्रकार

इक्विटी म्यूचुअल फंड
  • इनमें मुख्‍यत: इक्विटी और इक्विटी से संबंधित प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है.
  • अल्पावधि में अस्थिर हो सकते हैं लेकिन दीर्घावधि में बेहतर साबित हो सकते है
  • उच्च जोखिम लेने की क्षमता और दीर्घावधि निवेश करने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त.

डेट म्यूचुअल फंड
  • इनमें मुख्यत: डेट प्रतिभूति जैसे कॉरपोरेट बॉन्ड, सरकारी प्रतिभूतियों, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स आदि में निवेश किया जाता है. .
  • इक्विटी और हाइब्रिड फंड की तुलना में कम अस्थिरता.
  • जोखिम से बचने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त.

हाइब्रिड म्यूचुअल फंड
  • फंड के निवेश उद्देश्यों के अनुसार इक्विटी और डेट प्रतिभूतियों में मिश्रित रुप से निवेश किया जाता है.
  • रिस्क-रिटर्न मैट्रिक्स इक्विटी और डेट फंड के अनुसार है.
  • उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो इक्विटी बाजारों में निवेश करना चाहते हैं लेकिन ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते हैं.

इंडेक्स फंड्स
  • इंडेक्स फंड विशेष इंडेक्स जैसे निफ्टी 50, सेंसेक्स या किसी विशेष सेक्टोरल इंडेक्स जैसे बैंकिंग, कंजम्पशन आदि प्रतिबिंब है.
  • इंडेक्स रिटर्न उस इंडेक्स का प्रतिबिंब है जिससे वो संबद्ध है.
  • यह एक परोक्ष निवेश नीति है क्योंकि फंड मैनेजर सक्रिय निर्णय लेते हैं.

सोल्युशन ऑरिएंटेड फंड
  • सोल्युशन ऑरिएंटेड फंड विशिष्ट प्रयोजन जैसे सेवानिवृत्ति योजना और बच्चों की शिक्षा के लिए होता है.
  • वह आम तौर पर या तो केवल इक्विटी या इक्विटी और डेट में संमिश्र रुप से निवेश करते हैं.
  • यह ओपन एंडेड फंड होते हैं लेकिन इनमें लॉक-इन अवधि होती है.

लिक्विड फंड
  • लिक्विड फंड में 91 दिनों की परिपक्वता अवधि वाली प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है.
  • ये अत्यधिक लिक्विड होते हैं और इनमें बहुत कम जोखिम होता है.
  • निवेशक लिक्विड फंड का उपयोग अपने अधिशेष फंड को आपातकालीन प्रयोजनों के लिए जमा रखने के लिए करते हैं.

म्यूचुअल फंड निवेश : बॉब के साथ निवेश क्यों करें

बॉब के साथ निवेश क्यों करें ?

म्यूचुअल फंड सही है. लेकिन ~ 1500 से अधिक योजनाओं में से अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक सही म्युचुअल फंड का चयन करना महत्वपूर्ण है. चाहे आपका लक्ष्य दीर्घकालिक पूंजी वृद्धि हो, निवेश के माध्यम से करों की बचत हो, विशेष वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करना हो या अल्पावधि के लिए निधि का संग्रहण करना हो, आपको बैंक ऑफ़ बड़ौदा के माध्यम से सही समाधान प्राप्‍त होगा.

बॉब के साथ निवेश करने के लाभ:

आपके निवेश का प्रबंधन करने के लिए समर्पित टीम

  • प्रशिक्षित और अनुभवी निवेश विशेषज्ञों की विशेषज्ञता का लाभ उठाएं जो उपलब्ध विभिन्न निवेश विकल्पों का मूल्यांकन करते हैं और आपको आपकी आवश्यकताओं के अनुसार सबसे उपयुक्त विकल्प प्रदान करते हैं.

बड़ौदा निवेश सेवा खाता

  • बड़ौदा निवेश सेवा खाता आपको विभिन्न निवेश उत्पादों में निर्बाध रूप से निवेश करने की अनुमति देता है.

क्यूरेटेड म्यूचुअल फंड शॉर्टलिस्ट

  • हमारी टीम आपको शीर्ष कार्यनिष्पादन करने वाले फंड तक एक्‍सेस प्रदान करने के लिए बाजार की गतिशीलता के साथ-साथ उत्पाद संरचना, पिछले रिटर्न और रेटिंग का अध्ययन करती है.

फंड विवरण, रेटिंग और बहुत कुछ

  • म्युचुअल फंड विवरण, पिछले रिटर्न के साथ-साथ रेटिंग की जानकारी तक आसानी से प्राप्त करें.*

समेकित पोर्टफोलियो विवरण

  • समेकित पोर्टफोलियो विवरण विभिन्न म्यूचुअल फंड योजनाओं में होल्डिंग को दर्शाता है और आपको एक नज़र में अपने पोर्टफोलियो को ट्रैक करने में सहायता प्रदान करता है.

^ नियम और शर्तें लागू

* एमएफ रेटिंग की आपूर्ति मॉर्निंगस्टार द्वारा की जाती है और इस संबंध में उनके नियम और शर्तें लागू हो सकती हैं


बैंक ऑफ़ बड़ौदा - निवेश सेवा खाता

निवेश सेवा खाता आपको बाधारहित प्‍लैटफॉर्म की सुविधा प्रदान करता है जो आपको म्यूचुअल फंड और अन्य निवेश उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला में निवेश करने की सुविधा प्रदान करता है.

बैंक ऑफ़ बड़ौदा निवेश सेवा खाते की प्रमुख विशेषताएं

  • बैंक ऑफ़ बड़ौदा निवेश सेवा खाता खोलने या इसका रखरखाव शुल्क 'शून्य' होगा
  • बॉब वर्ल्ड मोबाइल एप्लिकेशन, इंटरनेट बैंकिंग या केवल सामान्‍य लेन-देन अनुरोध फॉर्म के माध्यम से शीर्ष कार्यनिष्पादन करने वाले म्यूचुअल फंड में लेन-देन करें.
  • उपर्युक्‍त उल्लिखित किसी भी चैनल के माध्यम से एसआईपी, एसटीपी या स्थायी अनुदेश प्रदान करते हुए व्यवस्थित रूप से निवेश करें
  • विविध उत्पादों और परिसंपत्ति वर्गों में अपने संपूर्ण निवेश पोर्टफोलियो को समेकित रुप से देखें.
  • व्यक्तिगत फंड स्तर के रिटर्न और अन्य विवरण के साथ-साथ पोर्टफोलियो का कार्यनिष्‍पादन ट्रैक करें.
  • बड़ौदा सेलेक्‍ट - निधियों की क्यूरेटेड शॉर्टलिस्ट का एक्‍सेस प्राप्त करें.
  • बॉब वर्ल्ड और इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से कैपिटल गेन / लॉस रिपोर्ट्स, लेन-देन रिपोर्ट्स आदि सहित विभिन्न रिपोर्ट्स को एक्‍सेस करें.

म्यूचुअल फंड निवेश : एसआईपी क्या है?

एसआईपी क्या है?

व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) निवेश का एक साधन है जिसके माध्यम से आप किसी म्यूचुअल फंड में नियमित अंतराल में एक निर्धारित राशि को निवेश कर सकते हैं. निरंतर निवेश करने से आपके वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करना आसान हो सकता है.

एसआईपी आपके लिए अच्छा क्यों हो सकता है ?

  • निवेश का अनुशासित माध्‍यम : चूंकि निवेश राशि सीधे निवेशकों के खाते से डेबिट की जाती है और म्यूचुअल फंड में निवेश की जाती है, निवेशकों के भावनात्मक पूर्वाग्रहों को दूर रखा जाता है. दीर्घावधि के धन सृजन हेतु निवेश का अनुशासित माध्‍यम आवश्‍यक है.
  • कम टिकट आकार : निवेशक एसआईपी के माध्यम से न्‍यूनतम रु. 500 प्रति माह के साथ निवेश कर सकते हैं.
  • कंपाउंडिंग से अधिक लाभ
  • कंपाउंडिंग एक सरल लेकिन दीर्घावधि के लिए महत्‍वपूर्ण अवधारणा है. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से मूल राशि पर अर्जित प्रतिफल का पुनर्निवेश किया जाता है ताकि निवेश से मिलने वाला प्रतिफल भी प्रतिफल उत्पन्न करना शुरू कर दे. जैसा कि उपुर्यक्‍त तालिका में दर्शाया गया है निवेश की अवधि के आधार पर निवेश मूल्य बढ़ता रहता है.

    विकल्‍प मासिक एसआईपी
    (Rs)
    निवेश अवधि
    (वर्ष)
    निवेश राशि
    (Rs Lacs)
    निवेश मूल्‍य *
    (Rs Lacs)
    लाभ
    (Rs Lacs)
    गुणक
    2000 40 9.6 Lac 194.02 184.42 20.2x
    बी 2000 30 7.2 Lac 61.04 53.84 8.5x
    सी 2000 20 4.8 Lac 18.22 13.42 3.8x
    डी 2000 10 2.4 Lac 4.44 2.04 1.8x
    *प्रतिफल की दर 12% प्रति वर्ष मानी गई है. तालिका केवल उदाहरण के प्रयोजन से प्रस्‍तुत है.
  • रुपया लागत का औसतीकरण : रुपये लागत का औसतीकरण अवधारणा ऐसी है कि जिसके तहत एनएवी कम होने पर निवेशक को अधिक एमएफ इकाइयां प्राप्‍त होती हैं और बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण निवेश की गई समान राशि के लिए एनएवी अधिक होने पर कम इकाइयाँ प्राप्‍त होती हैं. इससे आपकी खरीदारी लागत समय के साथ औसत हो जाती है. एसआईपी के माध्यम से निवेश करते समय आपको बाजार के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आपको रुपये की औसत लागत से लाभ होता रहता है.

म्यूचुअल फंड निवेश : हमारे एम.एफ टाई अप पार्टनर

म्यूचुअल फंड निवेश : Mutual Fund Nomination

  • With a view to protect investor interest by offering “choice of nomination” to Mutual fund investors, SEBI, vide circular no SEBI/HO/MIRSD/POD-1/P/CIR/2023/193 dated 27th December 2023, has extended the last date for submission of “choice of nomination” for Mutual fund folios to 30th June, 2024. Failure on part of investors to submit "choice of nomination" in their folios may result in their debit transactions being frozen post 30th June 2024.
  • Investors can seamlessly submit choice of nomination online by accessing the following links for their Mutual Fund investments with respective Registrar and Transfer Agents.
  • CAMS :https://digital.camsonline.com/changeofnomination
  • KFin Technologies : https://mfs.kfintech.com/investor/General/NCTNomineeUpdation

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

  • म्यूचुअल फंड क्या है ?

    म्यूचुअल फंड निवेशकों को यूनिट जारी करके और प्रस्ताव दस्तावेज में बताए गए उद्देश्यों के अनुसार प्रतिभूतियों में फंड का निवेश करके धन जमा करने का एक साधन है.

    प्रतिभूतियों में निवेश उद्योगों और क्षेत्रों के व्यापक क्रॉस-सेक्शन में फैला हुआ है और इस प्रकार इसमें अनेक प्रकार की जोखिम है क्योंकि सभी स्टॉक एक ही तरह से और एक ही समय में सामान अनुपात में नहीं चल सकते हैं. म्यूचुअल फंड द्वारा निवेशकों को उनके द्वारा निवेश किए गए धन की मात्रा के अनुसार इकाइयाँ जारी किया जाता है. म्यूचुअल फंड के निवेशकों को यूनिटहोल्डर के रूप में जाना जाता है.

    इसके अंतर्गत लाभ या हानि निवेशकों द्वारा उनके निवेश के अनुपात में शेयर की जाती है. म्यूचुअल फंड आम तौर पर कई योजनाएं लेकर आते हैं जो समय-समय पर विभिन्न निवेश उद्देश्यों के साथ शुरू की जाती हैं.

    आम जनता से निधि संग्रहण से पूर्व किसी मुचुअल फंड का भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) से पंजीकृत होना आवश्यक है

  • किसी योजना का शुद्ध आस्ति मूल्य (एनएवी) क्या है?

    म्यूचुअल फंड की किसी विशेष योजना का कार्यनिष्पादन इसके नेट आस्ति मूल्य (एनएवी) द्वारा दर्शाया जाता है.

    म्यूचुअल फंड निवेशकों से जुटाए गए रकम को प्रतिभूति बाजार में निवेश करते हैं. सरल शब्दों में, एनएवी योजना द्वारा धारित प्रतिभूतियों का बाजार मूल्य होता है. चूंकि प्रतिभूतियों का बाजार मूल्य प्रत्येक दिन बदलता है, इसलिए किसी योजना का एनएवी भी दैनिक आधार पर बदलता रहता है. प्रति इकाई एनएवी किसी विशेष तिथि पर योजना की कुल इकाइयों की संख्या से विभाजित करके इसकी प्रतिभूतियों का बाजार मूल्य होता है. उदाहरण के लिए, यदि म्यूचुअल फंड योजना की प्रतिभूतियों का बाजार मूल्य रू. 200 लाख है और म्यूचुअल फंड ने निवेशकों को 10 रुपये की 10 लाख इकाइयां जारी की हैं, तो फंड की प्रति यूनिट एनएवी 20 रुपये (यानी 200 लाख/10 लाख) होगी. म्यूचुअल फंड द्वारा दैनिक आधार पर एनएवी का खुलासा करना आवश्यक होता है.

  • विभिन्न प्रकार की म्यूचुअल फंड योजनाएं क्या हैं?
    • परिपक्वता अवधि के अनुसार योजनाएं:
    • किसी म्यूचुअल फंड योजना को उसकी परिपक्वता अवधि के आधार पर ओपन-एंडेड योजना या क्लोज-एंडेड योजना क्र रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है.

      ओपन-एंडेड फंड / योजना

      एक ओपन-एंडेड फंड या योजना वह है जो निरंतर आधार पर सदस्यता और पुनर्खरीद के लिए उपलब्ध होता है. इन योजनाओं की कोई निश्चित परिपक्वता अवधि नहीं होती है. निवेशक आसानी से प्रति यूनिट नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) पर यूनिट खरीद और बेच सकते हैं जिसे दैनिक आधार पर घोषित किया जाता है. ओपन-एंड योजनाओं की प्रमुख विशेषता तरलता(लिक्वीडीटी है

      क्लोज-एंडेड फंड / योजना

      क्लोज-एंडेड फंड या स्कीम के अंतर्गत एक निर्धारित परिपक्वता अवधि होती है, जैसे, 3-5 साल. योजना के शुभारंभ के समय एक निर्दिष्ट अवधि के दौरान ही फंड सदस्यता के लिए खुला रहता है. निवेशक नए फंड की पेशकश के समय इस योजना में निवेश कर सकते हैं और बाद में वे स्टॉक एक्सचेंजों पर योजना की इकाइयों की खरीद या बिक्री कर सकते हैं जहां इकाइयां सूचीबद्ध हैं. निवेशकों को एक एक्जिट मार्ग प्रदान करने के लिए, कुछ क्लोज-एंडेड फंड एनएवी से संबंधित कीमतों पर आवधिक पुनर्खरीद के माध्यम से यूनिट को म्यूचुअल फंड को फिर से बेचने का विकल्प देते हैं.

    • निवेश उद्देश्य के अनुरूप योजनाएं :
    • किसी योजना को उसके निवेश के उद्देश्य पर विचार करते हुए विकास योजना, आय योजना या संतुलित योजना के रूप में भी वर्गीकृत किया जा सकता है. इस तरह की योजनाएं ओपन-एंडेड या क्लोज-एंडेड कोई भी हो सकती हैं जैसा कि इससे पूर्व सूचित किया है. ऐसी योजनाओं को मुख्य रूप से निम्नानुसार वर्गीकृत किया जा सकता है:

      विकास/इक्विटी उन्मुख योजना

      ग्रोथ फंड का उद्देश्य मध्यम से लंबी अवधि में पूंजी वृद्धि प्रदान करना है. ऐसी योजनाएं आम तौर पर अपनी निधि का का एक बड़ा हिस्सा इक्विटी में निवेश करती हैं. ऐसे फंडों में तुलनात्मक रूप से उच्च जोखिम निहित होता है. ये योजनाएं निवेशकों को लाभांश विकल्प एवं विकास जैसे विभिन्न विकल्प प्रदान करती हैं और निवेशक अपनी पसंद के आधार पर किसी विकल्प का चयन कर सकते हैं. निवेशकों द्वारा अपने आवेदन पत्र में ऐसे विकल्प का उल्लेख करना चाहिए. म्यूचुअल फंड अपने निवेशकों को इसकी तारीख के बाद भी अपना विकल्प बदलने की अनुमति भी प्रदान करते हैं.. दीर्घावधि के दृष्टिकोण वाले निवेशकों के लिए ऐसी विकास योजनाएं अच्छी होती हैं, जो समय की अवधि में इसमें बढ़ोत्तरी चाहते हैं.

      आय/ऋण उन्मुख योजना

      आय फंड का उद्देश्य निवेशकों को नियमित और निश्चित आय प्रदान करना है. ऐसी योजनाएं आम तौर पर निश्चित आय प्रतिभूतियों जैसे बांड, कॉर्पोरेट डिबेंचर, सरकारी प्रतिभूतियों और मुद्रा बाजार के साधनों में अपना निवेश करती हैं और ऐसे फंड इक्विटी योजनाओं की तुलना में कम जोखिम वाले होते हैं.

      हालांकि, ऐसे फंड्स में कैपिटल एप्रिसिएशन के अवसर भी सीमित होते हैं. देश में ब्याज दरों में होने वाले बदलाव के कारण ऐसे फंडों की एनएवी प्रभावित होती है. ब्याज दरें कम होने पर ऐसे फंडों के एनएवी में अल्पावधि में वृद्धि होने की संभावना रहती है और ब्याज दर में वृद्धि होने पर इसके विपरीत प्रभाव पड़ता है. तथापि दीर्घावधि के निवेशक इन उतार-चढ़ावों से परेशान नहीं हो सकते हैं.

      संतुलित(बैलेंस्ड)/हाइब्रिड योजना

      संतुलित योजनाओं का उद्देश्य विकास और नियमित आय दोनों ही प्रदान करना है क्योंकि ऐसी योजनाएं इक्विटी और निश्चित आय प्रतिभूतियों दोनों में इनके प्रस्ताव दस्तावेजों में दर्शाए अनुपात में निवेश करती हैं. ये मध्यम वृद्धि की तलाश कर रहे निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं. शेयर बाजारों में शेयर की कीमतों में उतार चढ़ाव होने के कारण भी ये फंड प्रभावित होते हैं. हालांकि, ऐसे फंडों के एनएवी के शुद्ध इक्विटी फंड की तुलना में अस्थिर होने की संभावना कम होती है.

  • क्षेत्र विशिष्ट निधि/योजनाएं क्या हैं?

    यह वैसी फंड/योजनाएं हैं जो केवल उन्हीं क्षेत्रों या उद्योगों की प्रतिभूतियों में निवेश करती हैं जो कि प्रस्ताव दस्तावेजों में निदर्शाया जाता है, जैसे, फार्मास्यूटिकल्स, सॉफ्टवेयर, फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी), पेट्रोलियम स्टॉक, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), बैंक, आदि. ऐसे फंडों में रिटर्न संबंधित क्षेत्रों/उद्योगों के कार्यनिष्पादन पर निर्भर करता है. हालांकि ये फंड अधिक रिटर्न दे सकते हैं, मगर वे विविध फंडों की तुलना में जोखिम भरे हैं, निवेशकों को उन क्षेत्रों/उद्योगों के कार्यनिष्पादन पर ध्यान देने की जरूरत है और उचित समय पर बाहर निकल जाना चाहिए.इस संबंध में वे किसी विशेषज्ञ की सलाह भी ले सकते हैं.

  • कर बचत योजना(टैक्स सेविंग स्कीम) क्या हैं?

    ये योजनाएँ आयकर अधिनियम, 1961 के विशिष्ट प्रावधानों के तहत निवेशकों को कर में छूट प्रदान करती हैं क्योंकि सरकार द्वारा ऐसे विशिष्ट अवसर पर निवेश के लिए कर प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है,. उदाहरण के लिए, धारा 80C के तहत इक्विटी लिंक्ड बचत योजनाएँ (ELSS) और राजीव गांधी इक्विटी बचत योजना ( RGESS) आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80CCG के अंतर्गत होती हैं. म्यूचुअल फंड द्वारा आरम्भ की गई पेंशन योजनाएं भी कर लाभ प्रदान करती हैं. ये योजनाएं विकासोन्मुख हैं और मुख्य रूप से इक्विटी में निवेश करती हैं. इनके विकास के अवसर और इससे जुड़े जोखिम किसी भी इक्विटी-उन्मुख योजना की तरह ही होते हैं.

    • इसके अंतर्गत 3 साल की लॉक-इन अवधि होती है (जो अन्य सभी कर बचत विकल्पों में सबसे कम है)
    • वर्तमान में आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत ₹1,50,000 तक की कटौती के लिए पात्र है.
  • फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) योजना क्या है?

    एक योजना जो मुख्य रूप से उसी म्यूचुअल फंड या अन्य म्यूचुअल फंड की अन्य योजनाओं में निवेश करती है, उसे एफओएफ योजना के रूप में जाना जाता है. एक एफओएफ योजना निवेशकों को किसी योजना के माध्यम से अधिक विविधीकरण प्राप्त करने में सक्षम बनाती है. यह व्यापक रूप से किसी बड़े जोखिम का विस्तार करता है,

  • एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) क्या हैं?

    ईटीएफ म्यूचुअल फंड यूनिट हैं जिनकी निवेशकों द्वारा स्टॉक एक्सचेंज में खरीद या बिक्री की जा सकती है. यह एक सामान्य म्यूचुअल फंड इकाई के विपरीत है जिसे एक निवेशक एएमसी (सीधे या वितरक के माध्यम से) से खरीदता या बेचता है. ईटीएफ संरचना में, एएमसी सीधे निवेशकों या वितरकों के साथ लेनदेन नहीं करता है. कुछ नामित बड़े प्रतिभागियों को इसकी इकाइयाँ जारी की जाती हैं जिन्हें अधिकृत प्रतिभागी (APs) कहा जाता है. एपी स्टॉक एक्सचेंज पर ईटीएफ के लिए खरीद और बिक्री करते हैं जो कि निवेशकों को कभी भी ईटीएफ खरीदने और बेचने हेतु सक्षम बनाता है जब शेयर बाजार कारोबार के लिए खुले होते हैं. ईटीएफ की खरीद और बिक्री के लिए निवेशकों के पास डीमैट और ट्रेडिंग खाता होना आवश्यक है.

  • पूंजी संरक्षण उन्मुख योजना क्या है?

    कोई पूंजी संरक्षण-उन्मुख योजना आम तौर पर एक हाइब्रिड योजना है जो निश्चित आय वाली प्रतिभूतियों और इक्विटी में अपनी निधि के एक हिस्से में महत्वपूर्ण रूप से निवेश करती है. ये क्लोज-एंडे ड योजनाएं हैं जो निश्चित परिपक्वता की अवधि के लिए होती हैं, जैसे, तीन से पांच साल.

    योजना की संरचना - उदाहरण :

    यदि कोइ फंड 100 रुपये एकत्रित करता है, तो यह निश्चित आय प्रतिभूतियों में 80 रुपये और इक्विटी या इक्विटी से संबंधित लिखतों में 20 रुपये का निवेश करता है. राशि इस प्रकार निवेश की जाती ताकि रू. 80 का हिस्सा तीन वर्षों में बढ़कर रू. 100 हो जाने की उम्मीद हो (यह मानते हुए कि योजना की परिपक्वता अवधि तीन वर्ष होती है). इस प्रकार, योजना की परिपक्वता तक रु. 100 की पूंजी को संरक्षित करने का लक्ष्य होता है.

    इस प्रकार, यह योजना पूंजी के संरक्षण की ओर उन्मुख है न कि गारंटीड रिटर्न के साथ. इसके अलावा, पूंजी के सुरक्षा की ओर उन्मुखीकरण योजना की पोर्टफोलियो संरचना से उत्पन्न होती है कि किसी बैंक गारंटी या बीमा कवर से. योजना द्वारा निवेशकों को न तो कोई गारंटी/संकेत रिटर्न की पेशकश की जाती है और न ही पूंजी के पुनर्भुगतान पर कोई गारंटी दी जाती है.

  • एनएफओ क्या है?

    एनएफओ का अर्थ न्यू फंड ऑफर होता है. जब निवेशकों के लिए किसी नए फंड की शुरूआत की जाती है तो इसे एनएफओ के रूप में जाना जाता है. एक एनएफओ क्लोज-एंडेड फंड की अतिरिक्त इकाइयों का आरम्भ भी हो सकता है.

  • बिक्री और पुनर्खरीद/मोचन मूल्य क्या है?

    किसी ओपन-एंडेड स्कीम में निवेश करते समय यूनिट होल्डर द्वारा लगायी जाने वाली राशि को एनएवी बिक्री मूल्य कहा जाता है.

    पुनर्खरीद या मोचन मूल्य वह मूल्य या एनएवी है जिस पर एक ओपन-एंडेड योजना यूनिटधारकों से अपनी इकाइयों को खरीदती या मोचन करती है. इसमें एक्जिट लोड शामिल हो सकता है, यदि लागू हो.

  • व्यय अनुपात क्या है?

    व्यय अनुपात एक योजना के वार्षिक फंड परिचालन व्यय का प्रतिनिधित्व करता है, जो फंड की दैनिक शुद्ध संपत्ति के प्रतिशत के रूप में व्यक्त की जाती है. किसी योजना के परिचालन व्यय में प्रशासन, प्रबंधन, विज्ञापन संबंधी व्यय आदि शामिल होते हैं.

    1% प्रति वर्ष के व्यय अनुपात का अर्थ है कि प्रत्येक वर्ष फंड की कुल संपत्ति का 1% इसके व्यय को कवर करने के लिए उपयोग किया जाएगा. किसी योजना पर लागू होने वाले व्यय अनुपात की जानकारी का उल्लेख प्रस्ताव दस्तावेज़ में किया जाता है. वर्तमान में, भारत में, व्यय अनुपात वैकल्पिक है, अर्थात, किसी विशेष प्रकार के अनुमत व्यय की कोई सीमा नहीं है, जब तक कि कुल व्यय अनुपात निर्धारित सीमा के भीतर है.

  • एक समेकित खाता विवरण (सीएएस) क्या है?

    सीएएस किसी निवेशक द्वारा सभी म्यूचुअल फंड की सभी योजनाओं में वितरक को भुगतान किए गए लेनदेन शुल्क सहित माह के अंत में सभी लेनदेन और निवेशकों की होल्डिंग का विवरण देता है.

    प्रत्येक कैलेंडर माह के लिए एक सीएएस उन निवेशकों को जारी किया जाता है जिनके फोलियो लेनदेन उस महीने के दौरान किए गए हैं. प्रत्येक छमाही (सितंबर/मार्च) में एक सीएएस जारी किया जाता है, जिसमें म्यूचुअल फंड की सभी योजनाओं में, ऐसे सभी निवेशकों को, जिनके फोलियो में उस अवधि के दौरान कोई लेनदेन नहीं हुआ है, छह महीने के अंत में होल्डिंग का विवरण दिया जाता है.

  • एक व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) क्या है?

    एक एसआईपी किसी निवेशक को नियमित रूप से निवेश करने की अनुमति देता है. इसमें प्रत्येक महीने एक छोटी रकम म्यूचुअल फंड में निवेश की जाती है. एक एसआईपी किसी को समय की बाध्यता के बिना या उसके मूवमेंट का अनुमान किये बगैर शेयर बाजार में शामिल की अनुमति देता है.

    उदाहरण के लिए X एक वर्ष के लिए प्रति माह रू. 1,000 का निवेश करने का निर्णय लेता है.

    जब शेयरों के बाजार मूल्य में गिरावट आती है, तो X को अधिक यूनिट खरीदने से लाभ होता है; और नीचे दर्शाए अनुसार कीमत में वृद्धि होने पर कम खरीदारी करना सुरक्षित होता है.

    दिनांक

    एन ए वी

    रु. 1000 पर निवेशकों को
    मिलने वाली इकाईयों की संख्या

    1-जनवरी

    10

    100

    1-फरवरी

    10.5

    95.24

    1-मार्च

    11

    90.91

    1-अप्रैल

    9.5

    105.26

    1-मई

    9

    111.11

    1-जून

    11.5

    86.96

    1-जुलाई

    11

    90.91

    1-अगस्त

    10.5

    95.24

    1-सितम्बर

    10

    100

    1-अक्टूबर

    9.5

    105.26

    1-नवम्बर

    10

    100

    1-दिसंबर/p>

    9.5

    105.26

    1186.15

    12000/1186.15 = 10.1170 की औसत लागत पर हर महीने केवल 1,000 रुपये का निवेश करके एक वर्ष के भीतर, X की 1,186 इकाइयां हैं. यह 12,000/10 = 1,000 इकाइयों या 12000/11.5 = 1043.5 इकाइयों या 12000/9 = 1,333.3 इकाइयों के विपरीत है यदि एक्स ने क्रमशः 1 जनवरी, 1 जून या 1 मई को एकमुश्त निवेश किया था.

  • रुपया लागत औसत क्या है?

    रुपया कॉस्ट एवरेजिंग एक बार में ही अचानक नाटकीय ढंग से कोई लाभ नहीं होता है, लेकिन बाजार में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव के बावजूद लंबी अवधि में निरंतर विकास करता है. म्युचुअल फंड योजना के अंतर्गत व्यवस्थित निवेश योजना का चयन करने से निवेशकों को रुपया लागत औसत का लाभ प्राप्त होता है

  • एक व्यवस्थित निकासी योजना (एसडब्ल्यूपी) क्या है?

    एक व्यवस्थित निकासी योजना (एसडब्ल्यूपी) के अंतर्गत कोई निवेशक नियमित अंतराल पर एक निश्चित संख्या में म्यूचुअल फंड इकाइयों का मोचन(रिडेम्पसन) करता है.

  • सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) क्या है?

    एसटीपी एक ऐसी योजना है जो निवेशकों को म्यूचुअल फंड को समय-समय पर एक योजना से एक निश्चित राशि / स्विच (रिडीम) किसी अन्य इकाइयों को स्थानांतरित करने और उसी म्यूचुअल फंड हाउस की दूसरी योजना में निवेश करने की अनुमति देती है.

  • म्युचुअल फंड मोचन पर कराधान:

    म्युचुअल फंड द्वारा प्रस्तावित पूंजीगत लाभ का कराधान
    म्यूचुअल फंड के पूंजीगत लाभ की कराधान दर धारिता(होल्डिंग) अवधि और म्यूचुअल फंड के प्रकार पर निर्भर करती है. होल्डिंग अवधि वह अवधि है जितने समय तक किसी निवेशक के पास म्युचुअल फंड की यूनिट्स होती हैं. सरल शब्दों में, होल्डिंग अवधि म्यूचुअल फंड इकाइयों की खरीद और बिक्री की तारीख के बीच की अवधि है. म्यूचुअल फंड की इकाइयों की बिक्री के उपरान्त प्राप्त पूंजीगत लाभ को निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है :

    फंड का प्रकार

    लघु अवधि कैपिटल गेन्स

    दीर्घावधि कैपिटल गेन्स

    इक्वीटी फंड्स

    12 माह से कम

    12 माह व इससे अधिक

    डेट फंड्स

    36 माह से कम

    36 माह व इससे अधिक

    हाइब्रिड इक्विटी उन्मुख फंड्स

    12 माह से कम

    12 माह व इससे अधिक

    हाइब्रिड इक्विटी उन्मुख फंड्स

    36 माह से कम

    36 माह व इससे अधिक

    म्युचुअल फंड्स द्वारा प्रदान किए जाने वाले अल्पकालिक और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर अलग-अलग दरों पर कर लगता है.

  • क्या अनिवासी भारतीय (एनआरआई) म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं?

    जी हां, अनिवासी भारतीय भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. इस संबंध में आवश्यक विवरण योजनाओं के प्रस्ताव दस्तावेजों में दिए गए हैं.

  • निवेशकों को एक प्रस्ताव दस्तावेज में क्या देखना चाहिए?

    एक संक्षिप्त प्रस्ताव दस्तावेज़ [मुख्य सूचना ज्ञापन (केआईएम) के रूप में जाना जाता है], जिसमें बहुत उपयोगी जानकारी शामिल होती है, इसे म्यूचुअल फंड द्वारा संभावित निवेशकों को दिया जाना आवश्यक होता है. किसी योजना की सदस्यता के लिए आवेदन पत्र प्रस्ताव दस्तावेज का एक अभिन्न अंग है. सेबी ने प्रस्ताव दस्तावेज़ में न्यूनतम प्रकटीकरण निर्धारित किया है. म्यूच्यूअल फण्ड निवेश बाज़ार के खतरों के अधीन हैं. एक निवेशक को योजना से संबंधित सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ना चाहिए. योजना की मुख्य विशेषताओं, जोखिम कारकों और योजना पर लगने वाले आवर्ती खर्चों, लोड्स (भार) , प्रायोजक के ट्रैक रिकॉर्ड, शैक्षिक योग्यता और फंड मैनेजरों सहित प्रमुख कर्मियों के कार्य अनुभव, शुरू की गई अन्य योजनाओं के प्रदर्शन से संबंधित भागों, पूर्व में म्युचुअल फंड द्वारा लंबित मुकदमेबाजी और लगाए गए दंड आदि पर ठीक से ध्यान दिया जाना चाहिए.

  • म्यूचुअल फंड में निवेश करने के पश्चात निवेशकों को सर्टिफिकेट या अकाउंट स्टेटमेंट कब मिलेगा?

    म्युचुअल फंडों को योजना की प्रारंभिक सदस्यता के बंद होने की तारीख से पांच कार्य दिवसों के भीतर प्रमाण पत्र या खातों के विवरण भेजना आवश्यक होता है. क्लोज-एंडेड योजनाओं के मामले में, निवेशकों को या तो डीमैट अकाउंट स्टेटमेंट या यूनिट सर्टिफिकेट प्राप्त होगा क्योंकि इनका स्टॉक एक्सचेंजों में कारोबार होता है. ओपन-एंडेड योजनाओं के मामले में, म्यूचुअल फंड द्वारा योजना के प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव को बंद करने की तारीख से पांच कार्य दिवसों के भीतर और/या यूनिटधारकों से अनुरोध प्राप्त होने की तारीख से खाते का विवरण जारी किया जाता है. प्रस्ताव दस्तावेज़ में पुनर्खरीद की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है. साथ ही, एएमसी द्वारा प्रारंभिक सदस्यता सूची को बंद करने की तिथि और/या यूनिटधारकों से अनुरोध प्राप्त होने की तिथि से आवेदक के पंजीकृत ई मेल पते और/या मोबाइल नंबर पर ईमेल और/या एसएमएस के माध्यम से पांच कार्य दिवसों के अन्दर उन्हें आवंटित इकाइयों की संख्या निर्दिष्ट करते हुए पुष्टिकरण भेजना आवश्यक है.

  • पीएमएस क्या है?

    एक पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा (पीएमएस) एक ऐसी सेवा है जो धन सृजन हेतु निवेश का पेशेवर रू से प्रबंधन करती है. इसका उद्देश्य उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों या संस्थाओं को निवेश समाधान प्रदान करके उनकी निवेश आवश्यकताओं को पूरा करना है.

  • पोर्टफोलियो मैनेजर कौन है?

    एक पोर्टफोलियो मैनेजर एक कॉरपोरेट निकाय है, जो क्लाइंट के साथ किए गए अनुबंध के अनुसार, उसकी और से कोइ सलाह निर्देश देता है अथवा ग्राहक (किसी विवेकाधीन पोर्टफोलियो मैनेजर के रूप में या अन्यथा) की प्रतिभूतियों या फंड के पोर्टफोलियो का प्रबंधन या प्रशासन करता है.

  • विवेकाधीन और गैर-विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा क्या है?

    विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा में, पोर्टफोलियो प्रबंधक व्यक्तिगत रूप से और स्वतंत्र रूप से फंड में किए गए निवेश उद्देश्य के अनुरूप ग्राहक के फंड और प्रतिभूतियों का प्रबंधन करता है. गैर-विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा के अंतर्गत , पोर्टफोलियो प्रबंधक ग्राहक के निर्देशों के अनुसार धन का प्रबंधन करता है.

  • पीएमएस के लिए न्यूनतम निवेश/टिकट साइज क्या है?

    पोर्टफोलियो प्रबंधक द्वारा ग्राहक से न्यूनतम रु. 50 लाख अथवा न्यूनतम रू.50 लाख की प्रतिभूतियों को स्वीकार करना आवश्यक है.

  • क्या एनआरआई पीएमएस में निवेश कर सकते हैं?

    जी हां, एनआरआई पीएमएस में अपने एनआरई या एनआरओ खातों के माध्यम से निवेश कर सकते हैं. एनआरआई ग्राहकों के लिए कुछ अतिरिक्त अनुपालन/दस्तावेजीकरण संबंधी आवश्यकताएं हैं. हमारे रिलेशनशिप मैनेजर एनआरआई क्लाइंट को इस दस्तावेजीकरण में सहायता करेंगे.

  • क्या पीएमएस में आंशिक निकासी की अनुमति है?

    ग्राहक और पोर्टफोलियो प्रबंधक के बीच किए गए समझौते की शर्तों के अनुसार, ग्राहक अपने पोर्टफोलियो से आंशिक राशि की निकासी कर सकता है. तथापि इस प्रकार की गयी निकासी के पश्चात पोर्टफोलियो में निवेश का मूल्य लागू न्यूनतम निवेश राशि से कम नहीं होना चाहिए.

  • एक पोर्टफोलियो प्रबंधक अपने ग्राहकों से उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए क्या शुल्क ले सकता है?

    सेबी (पोर्टफोलियो प्रबंधक) विनियम, 2020 में यह दर्शाया गया है कि कि पोर्टफोलियो प्रबंधक पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं प्रदान करने के लिए क्लाइंट के साथ हुए समझौते के अनुसार शुल्क प्रभारित करेगा. इस प्रकार लगाया गया शुल्क एक निश्चित राशि या कार्यनिष्पादन पर आधारित शुल्क अथवा दोनों का योग भी हो सकता है. तथापि, पोर्टफोलियो मैनेजर द्वारा ग्राहकों से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई अग्रिम शुल्क नहीं लिया जाएगा. पोर्टफोलियो प्रबंधक और ग्राहक के बीच हुए समझौते में, अन्य बातों के साथ-साथ, सभी प्रकार की प्रत्येक गतिविधियों के लिए ग्राहक द्वारा देय शुल्क की राशि और स्वरुप भी शामिल होंगे, जिसके लिए पोर्टफोलियो प्रबंधक द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सेवा प्रदान की जाती है.

  • पोर्टफोलियो मैनेजर के कार्यनिष्पादन का आकलन किस आधार पर किया जाता है ?

    विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधक के कार्यनिष्पादन का आकलन तत्काल पूर्ववर्ती तीन वर्षों या परिचालन की अवधि, जो भी कम हो, के लिए रिटर्न की समय आधारित दर (TWRR) पद्धति का प्रयोग करके किया जाता है. सेबी द्वारा जारी परिपत्र संख्या सेबी/एचओ/आईएमडी/डीएफ1/सीआईआर/पी/2020/26 दिनांक 13 फरवरी, 2020, में अन्य बातों के साथ-साथ, पोर्टफोलियो प्रबंधकों द्वारा कार्यनिष्पादन की रिपोर्टिंग संबंधी जानकारी उपलब्ध करायी जाती है और किसी क्लाइंट के रिपोर्टिंग के प्रारूप में ग्राहक का खाता, पोर्टफोलियो प्रबंधक और समुचित बेंचमार्क और कंपनी के कार्यनिष्पादन के आधार पर दी गयी सूचना भी शामिल होती है.

  • पोर्टफोलियो मैनेजर से क्लाइंट किस प्रकार की रिपोर्ट की अपेक्षा कर सकता है?

    पोर्टफोलियो मैनेजर समय-समय पर लेकिन तीन महीने की अवधि से अधिक नहीं पर क्लाइंट से किए गए रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तुत करेगा और इस रिपोर्ट में निम्नलिखित विवरण शामिल होंगे :-

    • रिपोर्ट की तारीख को पोर्टफोलियो की संरचना और मूल्य, प्रतिभूतियों और माल का विवरण, प्रतिभूतियों की संख्या, पोर्टफोलियो में जमा की गयी प्रत्येक प्रतिभूति का मूल्य, माल की इकाइयाँ, माल का मूल्य, नकद शेष और पोर्टफोलियो का कुल मूल्य
    • रिपोर्ट की अवधि के दौरान किए गए लेनदेन जिसमें लेनदेन की तारीख और खरीद और बिक्री का विवरण शामिल हो
    • उस अवधि के दौरान ब्याज, लाभांश, बोनस शेयर, राइट शेयर आदि के रूप में प्राप्त हितकारी ब्याज;
    • ग्राहक के पोर्टफोलियो के प्रबंधन में किया गया व्यय ;
    • पोर्टफोलियो प्रबंधक द्वारा पूर्वानुमानित जोखिम का विवरण और निवेश या विनिवेश के लिए पोर्टफोलियो प्रबंधक द्वारा अनुशंसित प्रतिभूतियों से संबंधित जोखिम;
    • कूपनों के भुगतान में चूक या अंतर्निहित ऋण प्रतिभूति के भुगतान में हुई कोई अन्य चूक और रेटिंग एजेंसियों द्वारा डिफॉल्ट रेटिंग में डाउनग्रेडिंग, यदि कोई हो;
    • विशेष ग्राहक के लिए वितरकों को भुगतान किए गए कमीशन का विवरण
  • पोर्टफोलियो मैनेजर की सेवाओं को परिचालित करने संबंधी नियम क्या हैं?

    पोर्टफोलियो मैनेजर की सेवाएं पोर्टफोलियो मैनेजर और निवेशक के बीच हुए समझौते द्वारा संचालित की जाती हैं. इस समझौते में सेबी पोर्टफोलियो प्रबंधक विनियमों में दर्शाए गए न्यूनतम विवरण शामिल होने चाहिए. हालांकि, क्लाइंट के साथ अनुबंध में पोर्टफोलियो मैनेजर द्वारा अतिरिक्त आवश्यकताओं को भी दर्शाया जा सकता है. अतः किसी एक निवेशक को यह सलाह दी जाती है कि वह समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले इसे ध्यान से पढ़ें.

  • क्या कोई पोर्टफोलियो मैनेजर द्वारा निवेशक पर लॉक-इन लगाया जा सकता है ?

    पोर्टफोलियो प्रबंधक अपने ग्राहकों के निवेश पर रोक नहीं लगा सकते हैं. हालांकि, सेबी द्वारा जारी परिपत्र संख्या सेबी/एचओ/आईएमडी/डीएफ1/सीआईआर/पी/2020/26 के प्रावधान के अधीन, एक पोर्टफोलियो प्रबंधक समझौते में निर्धारित समय से पहले एक्जिट करने पर क्लाइंट से लागू एक्जिट शुल्क ले सकता है.

  • पीएमएस और एमएफ में क्या अंतर है ?
    • पीएमएस में, निवेशक सीधे शेयरों के स्वामी होते हैं जबकि म्यूचुअल फंड के मामले में शेयरों पर अप्रत्यक्ष रूप से इकाइयों के माध्यम से स्वामित्व होता है
    • म्युचुअल फंड योजना के उद्देश्यों के आधार पर निवेश के लिए एक ही साइज का दृष्टिकोण जो सभी के अनुरूप हो, अपनाया जाता है. पीएमएस के मामले में, यह जोखिम लेने की क्षमता और व्यक्तिगत प्रयोजन के आधार पर अलग अलग होता है.
    • पीएमएस में जोखिम प्रतिबंधों की संभावना कम होती है. उदाहरण के लिए, म्यूचुअल फंड में एकल स्टॉक में एयूएम के 10% की सीमा होती है. पीएमएस के लिए ऐसी कोई कैपिंग शर्त नहीं है.
    • म्युचुअल फंड के मामले में शुल्क तय है और व्यय अनुपात में बनाया गया है. हालांकि, पीएमएस के मामले में, यह कार्यनिष्पादन के आधार पर मामले - दर-मामले में भिन्न हो सकता है.
    • म्युचुअल फंड में टिकट का साइज एकमुश्त निवेश के लिए रू. 5,000 और एसआईपी के लिए रू. 1,000 रुपये जितना कम है. पीएमएस के मामले में यह न्यूनतम 50 लाख रुपये है.

Add this website to home screen

Are you Bank of Baroda Customer?

This is to inform you that by clicking on continue, you will be leaving our website and entering the website/Microsite operated by Insurance tie up partner. This link is provided on our Bank’s website for customer convenience and Bank of Baroda does not own or control of this website, and is not responsible for its contents. The Website/Microsite is fully owned & Maintained by Insurance tie up partner.


The use of any of the Insurance’s tie up partners website is subject to the terms of use and other terms and guidelines, if any, contained within tie up partners website.


Proceed to the website


Thank you for visiting www.bankofbaroda.in

X
हम अपनी वेबसाइट पर आपके अनुभव को बढ़ाने के लिए कुकीज़ (और इसी प्रकार के उपकरण) का उपयोग करते हैं। हमारी कुकी नीति, गोपनीयता नीति और नियम एवं शर्तों के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया यहां क्लिक करें। इस वेबसाइट को ब्राउज़ करना जारी रखते हुए, आप कुकीज़ के उपयोग हेतु सहमति देते हैं और गोपनीयता नीति एवं नियम और शर्तों से सहमत होते हैं।